आचार्य रामचन्द्रदास जी महाराज (जय महाराज)
पूज्यपाद जगद्गुरु जी जिन्हें अपनी आँखों की संज्ञा देते हैं, आचार्य रामचन्द्र दास उनके बौद्धिक विचारों, आध्यात्मिक अनुभवों तथा प्रशासनिक निर्णयों के वाहक हैं। साकेतवासिनी पूज्य बुआ जी ने इनको माता-पिता से मात्र 12 वर्ष की आयु में समाज और तुलसी पीठ की सेवा के लिए माँग लिया था। बुआ जी आजीवन पूज्यपाद जगद्गुरु जी के आध्यात्मिक तथा साहित्यिक मार्ग से कंकड़-पत्थर हटाती रहीं। उनके देह त्यागने के उपरांत उनकी आत्मा की ही प्रेरणा से पूज्य गुरुदेव ने बुआ जी द्वारा प्रशिक्षित जय मिश्र (पूर्वाश्रम का नाम) को रामचन्द्र दास के रूप में 2018 में अपना उत्तराधिकारी चुना। जब पूज्यपाद ने अपने संप्रदाय के वैचारिक प्रसार के लिए 2021 में रामानन्द मिशन की स्थापना की तब आचार्य रामचन्द्र दास को ही ट्रस्ट का उपाध्यक्ष तथा सचिव भी नियुक्त किया। अपने दायित्व के निर्वहन के क्रम में युवराज स्वामी एक तरफ व्यासपीठ की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, दूसरी तरफ पूज्य गुरुदेव के ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए गुरुदेव के निर्देशन में शोधरत हैं, वहीं तीसरी तरफ नए-नए कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी नेतृत्व क्षमता को परिकरों के मन में स्थापित कर रहे हैं।
जगद्गुरु जी के शिष्य रामचंद्र दास जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन गुरु सेवा में समर्पित कर दिया, उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनके कार्यभार संभाल रहे हैं यही नहीं गुरु जी के मार्गदर्शन में वह समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए रामानंद मिशन के माध्यम से जागरूक करने का कार्य कर रहें I